शनिवार, 2 जुलाई 2016

कट्टरपंथियों के निशाने पर हिन्दू

 बांग्लादेश  में इस्लामिक कट्टरपंथी हावी हो गए हैं। शेख हसीना सरकार भले ही दावा करे कि बांग्लादेश में इस्लामिक स्टेट और अन्य इस्लामिक आतंकी संगठनों का वजूद नहीं है लेकिन लगातार निर्दोष लोगों की हत्याएं कुछ और ही कहानी बयां करती है। बांग्लादेश में उदारवादी और धर्मनिरपेक्ष सोच वाले लेखकों-ब्लॉगरों, शिक्षाविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं को सुनियोजित हमले करके मौत के घाट उतारा जा रहा है। इनमें से अधिकतर हत्याओं की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली है। इस्लाम का झंडा थामकर चलने वाले आतंकवादियों के निशाने पर धार्मिक अल्पसंख्यक भी हैं, खासकर हिन्दू समुदाय। वैसे तो पाकिस्तान के साथ-साथ बांग्लादेश के इतिहास के पन्ने हिन्दुओं के रक्त से लाल हैं। लेकिन, पिछले कुछ समय में जिस तरह बांग्लादेश में हिन्दुओं को निशाना बनाया जा रहा है, उससे भविष्य के खतरे स्पष्ट नजर आ रहे हैं। एक के बाद एक हत्या किसी गहरे सांप्रदायिक षड्यंत्र की ओर इशारा कर रही हैं। मानो, बांग्लादेश की भूमि को हिन्दू विहीन करने की तैयारी इस्लामिक ताकतों ने कर ली है। वर्तमान सरकार को कथिततौर पर पंथनिरपेक्ष माना जाता है। लेकिन, इस्लामिक कट्टरपंथ पर जिस तरह से प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनकी सरकार ने आँखें बंद कर रखीं हैं, उसे देखकर लगता है कि उन्हें भी अपनी राजनीतिक रोटियों की फिक्र अधिक है। अल्पसंख्यकों पर हो रहे लगातार हमलों पर जिस तरह सरकार मूकदर्शक बन गई है, उससे लगता है कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक खासकर हिन्दू समुदाय बचेगा ही नहीं। बांग्लादेश सरकार को समझना चाहिए कि इस तरह की घटनाओं पर चुप्पी उसके लिए भी घातक हो सकती है। अतिवादी ताकतें जब अपनी जड़ें गहरी जमा लेती हैं तब वह सबके लिए नासूर बन जाती हैं और उस स्थिति में उनसे निपटना अधिक मुश्किल हो जाता है। बांग्लादेश आज उस जगह खड़ा है, जहाँ वह संभला नहीं तो उसकी बुरी गत हो जाएगी। प्रधानमंत्री शेख हसीना यह नहीं भूलें कि इस्लामिक आतंकवाद बांग्लादेश के इतिहास और वर्तमान को भी पूरी तरह निगल जाएगा। इस बात को समझने के लिए उन्हें इस्लामिक स्टेट की गतिविधियों का अध्ययन कर लेना चाहिए। हाल की कई घटनाएं बताती हैं कि बांग्लादेश में आज जिस तरह हिन्दुओं की हत्याएं हो रही है, वह दिन भी दूर नहीं है जब इसी तरह मुसलमानों की हत्याएं होना शुरू हो जाएंगी।
          बांग्लादेश की राजधानी ढाका में जिस रात हमला हुआ था, उसी दिन सुबह एक जुलाई को झेनैदाह जिले में बड़ी बेरहमी से एक हिन्दू पुजारी की हत्या की गयी थी। पुजारी श्यामोनदा दास मंदिर में सुबह की पूजा की तैयारी कर रहे थे, तभी मोटरसाइकिल से आए तीन मुस्लिम युवकों ने उनकी हत्या कर दी। गौरतलब है कि पिछले 30-35 दिनों में यह हिन्दुओं की हत्या का पांचवा मामला है। 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि एक और हिन्दू पुजारी 48 साल के भाबासिंधु रॉय पर जानलेवा हमला किया गया। रॉय श्री श्री राधागोबिंद मंदिर में पुजारी हैं। उन पर हमला 2 जुलाई को उस वक़्त किया गया, जब वे मंदिर में ही बने घर में सो रहे थे। इससे पहले आतंकियों ने हिन्दू पुजारियों की हत्या की थी। जून माह की 10 तारीख को सुबह की सैर पर निकले ठाकुर अनुकूल चंद्र सत्संग परमतीर्थ हिमायतपुरधाम आश्रम के 60 वर्षीय नित्यरंजन पांडे पर कई हमलावरों ने हमला करके उनकी हत्या कर दी। पबना के हिमायतपुर उपजिला स्थित आश्रम में पांडे पिछले 40 साल से स्वयंसेवक के तौर पर काम करते थे। इस घटना पर संत समाज ने बांग्लादेश में सुरक्षा से जुड़ी अपनी चिंताओं से पीएम नरेंद्र मोदी को भी अवगत कराया था। झेनैदाह जिले में ही 7 जून को नृशंस तरीके से सिर काटकर 70 वर्षीय हिन्दू पुजारी आनंद गोपाल गांगुली को मौत के घाट उतार दिया गया था। नोलडांगा गांव में पुजारी आनंद गोपाल सुबह करीब साढ़े नौ बजे मंदिर जा रहे थे कि तभी मोटरसाइकिल पर सवार होकर आए तीन हमलावरों ने उन्हें रोका और गोली मार दी। मौत की पुष्टि के लिए हमलावरों ने धारदार हथियारों से गांगुली का सिर धड़ से लगभग अलग कर दिया। इसके पहले 30 अप्रैल को आतंकियों ने दुकान में घुसकर हिन्दू दर्जी निखिल चन्द्र की हत्या कर दी थी। तंगाइल जिले में 50 वर्षीय निखिल अपने ही मकान में दुकान चलाता था। पिछले वर्ष 2015 में 27 फरवरी को आतंकियों ने अमेरिकी ब्लॉगर अविजीत रॉय, 12 मई को ब्लॉगर अनंत बिजॉय दास और 7 अगस्त को निलॉय चक्रवर्ती की हत्या सहित अन्य हिन्दुओं को निशाना बनाकर उनकी हत्या की गयी।
इन्होंने न तो किसी को परेशान किया था और न ही किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई थी, इसके बाद भी इनकी हत्या की गई, क्यों?  इनकी हत्या के पीछे का कारण सिर्फ यही है कि ये लोग हिन्दू थे। कट्टरपंथी गैर मुस्लिमों को स्वीकारने के लिए तैयार नहीं हैं। हिन्दुओं के अलावा ईसाई और गैर सुन्नी मुसलमान भी इस्लामिक हत्यारों के निशाने पर रहते हैं। यानी शरियत का कानून नहीं मानने वाला प्रत्येक व्यक्ति इस्लामिक आतंकियों के निशाने पर है और उसकी भी जान को खतरा है, जिसका पंथ इस्लाम है लेकिन वह इस्लाम की बुराइयों और हिंसक गतिविधियों के खिलाफ लिखता/बोलता है।
         चिंता की बात यह है कि बांग्लादेश में पनप रही खतरनाक विचारधारा पर दुनिया का ध्यान केन्द्रित नहीं है। इसका सीधा फायदा इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकवादी संगठनों को हो रहा है। बांग्लादेश में हावी होते कट्टरपंथियों से सबसे अधिक खतरा भारत को है। भारत के लिए पाकिस्तान के बाद सबसे अधिक खतरनाक साबित होने वाला पड़ोसी देश बांग्लादेश ही है। हम देखते हैं कि आज चाहकर भी पाकिस्तान भारत से मित्रवत व्यवहार नहीं कर पाता है। क्योंकि, इस्लामिक आतंकी ताकतें पाकिस्तान में दम पकड़ चुकी हैं। उनके सामने पाकिस्तान की सरकार कई बार बेबस साबित होती है। बांग्लादेश भी पाकिस्तान बनने के रास्ते पर है। इसलिए भारत को रणनीतिक तौर पर विचार करना होगा कि कैसे वह बांग्लादेश में इस्लामिक ताकतों को कमजोर कर सकता है? इसके साथ ही इस्लामिक स्टेट भी भारत में घुसने के लिए बांग्लादेश को प्रवेश द्वार बनाना चाहता है। इसलिए भी भारत को अधिक सजग रहने की आवश्यकता है। बांग्लादेश में हिन्दुओं की सुनियोजित हत्याओं की ओर दुनिया का ध्यान खींचने में भारत सरकार को अहम भूमिका निभानी होगी। जिस तरह पाकिस्तान का चेहरा दुनिया के सामने उजागर किया गया है, ठीक उसी तरह समय रहते बांग्लादेश के चरमपंथी गुटों का सच भी सामने लाना होगा। हिन्दू समाज की चिंता करना भारत सरकार का स्वाभाविक काम होना चाहिए। क्योंकि, दुनिया के सभी हिन्दू भारत की ओर ही उम्मीद की नजरों से देखते हैं।

3 टिप्‍पणियां:

  1. लोकेंद्र जी आप समय समय देश ही विदेश में भी हिन्दुओ पर हो रहे, इस्लामी हमलो पर अपनी लेखनी से एक मर्यादित सीमा में, पैनी धार के साथ हमला करते रहे है, अपने लिखा है की "वह दिन दूर नहीं जब मुसलमानो की भी हत्याए होने लगेंगे" आपको लगता है की ऐसा संभव है क्या कोई संघटित हिन्दू समुदाय है जो ये काम कर पाये, मोदी जी की विदेश मंत्री क्या केवल लोगो कओ इधर से उधर लाने के लिए ही बानी है,

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  2. लोकेंद्र जी आप समय समय देश ही विदेश में भी हिन्दुओ पर हो रहे, इस्लामी हमलो पर अपनी लेखनी से एक मर्यादित सीमा में, पैनी धार के साथ हमला करते रहे है, अपने लिखा है की "वह दिन दूर नहीं जब मुसलमानो की भी हत्याए होने लगेंगे" आपको लगता है की ऐसा संभव है क्या कोई संघटित हिन्दू समुदाय है जो ये काम कर पाये, मोदी जी की विदेश मंत्री क्या केवल लोगो कओ इधर से उधर लाने के लिए ही बानी है,

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    1. रवि जी, हिन्दू इस प्रवृति का नहीं है। वह तो सुकून और शांति से रहना पसंद करता है। हिन्दू किसी का धर्मान्तरण भी नहीं करना चाहते, वह सिर्फ अपने को ही दुनिया में सर्वश्रेष्ठ नहीं मानता है। बल्कि सबका सम्मान करता है। हिन्दू समाज की परवरिश ऐसी नहीं होती की वह दूसरे धर्म के लोगों के खिलाफ युद्ध छेड़ दे। इसलिए इसकी आशंका निराधार है कि हिन्दू किसी प्रकार का आतंकी संगठन बनाएंगे? और यदि बन भी गया तब उसका पोषण कौन करेगा? हिन्दू समाज तो उसकी निंदा ही करेगा
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      मुस्लिम इस्लाम के नाम पर आतंक का जो भस्मासुर बना लिए हैं, वह ही उनको मरेगा। अगर हम अभी ही देख लें तो ध्यान आता है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान सहित अरब के तमाम मुल्कों में आतंकी मुसलमानों को भी नहीं छोड़ रहे हैं। शिया, सुन्नी, अहमदिया, बहावी, ये सब आपस में एक दूसरे को ख़त्म करने के लिए तैयार बैठे हैं। बांग्लादेश में ही ईद के दिन आतंवादियों ने किसे मारा?
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      लेकिन अब भी सवाल यही है कि इन तमाम घटनाओं से मुस्लिम समाज कोई सीख लेगा क्या?
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