मंगलवार, 22 मार्च 2016

'बड़बोले' नेताओं को प्रधानमंत्री की नसीहत

 प्र धानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के समापन समारोह में पार्टी के 'बड़बोले' नेताओं को नसीहत दी है। प्रधानमंत्री को यह नसीहत इसलिए देनी पड़ी है, क्योंकि हाल के कुछ समय में अनावश्यक बयानबाजी के कारण बेकार के विवाद खड़े हुए हैं। प्रधानमंत्री ने अपने नेताओं को ताकीद किया है कि मीडिया खोजते हुए आपके पास इसलिए नहीं आ रही है कि आप बहुत महत्त्वपूर्ण व्यक्ति हैं, बल्कि उन्हें 'हैडलाइन' चाहिए। भारतीय जनता पार्टी के 'बड़बोले' नेताओं को प्रधानमंत्री के इस संदेश पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। क्योंकि, यह बहुत हद तक सत्य है कि कांग्रेस की बदहाली के पीछे भ्रष्टाचार और कुशासन के साथ-साथ कहीं न कहीं कांग्रेसी नेताओं के विवादित बयानबाजी भी प्रमुख कारण है। एक तो जनता पहले से ही अनेक समस्याओं से परेशान रहती है, ऊपर से नेताओं की अनर्गल बयानबाजी। स्वाभाविक तौर पर जनता में सरकार के प्रति आक्रोश जन्म लेता है। जरा गौर कीजिए कि यूपीए के समय में वरिष्ठ सांसदों और मंत्रियों की बयानबाजी का स्तर क्या था और उसके प्रत्युत्तर में जनता के आक्रोश को भी याद कीजिए? भाजपा के नेता कांग्रेस के हाल से सबक नहीं ले सकते तो कम से कम अपने मुखिया का कहा ही मान लें।
         दरअसल, विवादित बयानबाजी से सरकार के अच्छे कामों पर पर्दा पड़ जाता है। विपक्षी दल सरकार के अच्छे कामों को एक तरफ करके उसके मंत्रियों की बदजुबानी की ओर जनता का ध्यान आकर्षित कराने का प्रयास करती है। इससे कहीं न कहीं जनता में सरकार के प्रति नकारात्मक धारणा बनती है। दूसरी बात यह है कि अनावश्यक बयानबाजी ने जनता भी बेकार की बहस में पड़ती है। अनर्थक बयानबाजी रचनात्मक कार्यों में रुकावट बनती है। प्रधानमंत्री इस बात को समझ रहे हैं। इसलिए उन्होंने यह भी कहा है कि भाजपा विरोधी दल समय-समय पर बेकार के मुद्दे उछालेंगे, लेकिन हमें उनकी साजिश से बचना है। यह सच है कि पिछले कुछ समय में जिन विवादों ने जन्म लिया है, उनके पीछे भाजपा विरोधियों की सोची-समझी रणनीति है। 
          सहिष्णुता बनाम असहिष्णुता की बहस,हैदराबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय में छात्र की आत्महत्या की आड़ में दलित उत्पीडऩ का मुद्दा, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हुई निंदनीय घटना के बाद देशद्रोह बनाम देशभक्त की बहस और अब भारत माता की जय के नारे पर वितंड़ावाद। इन सबको हवा दी है भाजपा विरोधी दलों और आलोचकों ने। ईमानदारी से विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि इन सब मामलों को उछालने में सरकार या भाजपा ने पहल नहीं की है। लेकिन, भाजपा के आलोचक यह बताने का प्रयास कर रहे हैं कि देखिए इस सरकार के समय में किस तरह की घटनाएं बढ़ गईं हैं। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व विपक्ष की साजिश को भांप रहा है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री अपने नेताओं को सावधान कर रहे हैं कि भले ही विपक्षी पार्टियां ध्यान भटकाने की तमाम कोशिशें करें या दुष्प्रचार करें लेकिन हमें सकारात्मक बने रहना है और सरकार की सुधारवादी राजनीति को जनता तक पहुंचाना है। ताकि लोगों को समझ में आए कि उनके और देश के विकास के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए हैं? वरना जनता को इन बेकार की बहस के अतिरिक्त न तो कुछ दिखाया जा रहा है और न ही कुछ बताया जा रहा है। 
          हालांकि प्रधानमंत्री सहित भाजपा के जिम्मेदार नेताओं ने यह भी स्पष्ट किया है कि उनके लिए राष्ट्रवाद महत्त्वपूर्ण है,राष्ट्रवाद भाजपा की ताकत है, वह इसे आगे लेकर बढेंगे। देश में असहमतियों के लिए जगह होनी ही चाहिए लेकिन देश तोडऩे की कीमत पर वह बर्दाश्त नहीं है। बहरहाल, प्रधानमंत्री मोदी जोर देते हुए कहते हैं कि २२ महीने के कार्यकाल में हमारे दामन पर भ्रष्टाचार का एक भी दाग नहीं लगा है। सरकार का एक ही मंत्र है,विकास का मंत्र। यह बात सही है कि विपक्ष अब तक सरकार को किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार के आरोप में घेर नहीं सका है। ऐसे में प्रधानमंत्री की इस बात को जन समर्थन मिलना तय है कि विपक्ष के पास सरकार की आलोचना के लिए कोई मुद्दा नहीं है, इसलिए वह बेकार की बहस खड़ी कर रहा है।

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