सोमवार, 5 अक्तूबर 2015

सुषमा स्वराज का करारा जवाब

 सं युक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया है। उन्होंने पाकिस्तान को दो टूक कह दिया है कि नवाज शरीफ जी चार सूत्रों की जरूरत नहीं है। एक ही सूत्र काफी है। आतंकवाद छोडि़ए और बैठकर बात कीजिए। इससे पूर्व संयुक्त राष्ट्रसभा में बुधवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने हमेशा की तरह कश्मीर राग अलापा था। शरीफ ने भारत पर बातचीत नहीं करने और पाकिस्तान में अस्थिरता फैलाने का आरोप लगाया था। कश्मीर का मसला सुलझाने के लिए पाकिस्तान ने भारत पर चार बेतुकी शर्तें थोप दी थीं। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इन्हीं चार शर्तों पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को मुंहतोड़ जवाब दिया है।
        सुषमा ने गुरुवार को अपने भाषण में पाकिस्तान के आरोपों की धज्जियां उड़ा दीं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी अपनी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की तारीफ की है। यानी विदेश मंत्री की बात के पीछे पूरा देश खड़ा है। यूं तो पाकिस्तान पहले से ही दुनिया के सामने नग्न है। उसकी नीयत से सब वाकिफ हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जम्मू-कश्मीर से सेना हटाने की बात करते हैं लेकिन क्या वे यह बताने की कोशिश करेंगे कि पाकिस्तान सीमापार से गोलाबारी करना कब बंद करेगा? आतंकवादियों को भारत में घुसपैठ कराने से पाकिस्तान कभी बाज आएगा क्या? मुम्बई के ताज होटल पर हमला कराने का मास्टरमाइंड आतंकवादी हाफिज सईद पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहा है, क्यों? अंतरराष्ट्रीय अपराधी दाउद इब्राहिम को पाकिस्तान ने दामाद बनाकर रखा है, क्यों? ये आतंकवाद को पालने के उदाहरण नहीं हैं क्या? 
        नवाज शरीफ को यह तो समझना ही चाहिए कि ऐसी स्थिति में भारत की जगह कोई और देश होता तो वह भी बातचीत नहीं करना चाहता। आपसी मसलों को सुलझाने के लिए दोनों तरफ नीयत साफ होनी चाहिए। आस्तीन में साँप पालकर बैठे हो और भारत से कहते हो बात कर लो। बहरहाल, पीठ में खंजर झेलने के बाद भी पाकिस्तान से बातचीत के लिए भारत तैयार रहता है। लेकिन, प्रत्येक मौके पर पलटी कौन मारता है? बातचीत से पीछे कौन हटता है? सारे संधि समझौते किसने तोड़े हैं? नवाज शरीफ जी ये खुली किताब है, जिसे दुनिया पढ़ रही है। इसलिए ढोंग करने की कोशिश नहीं कीजिए। वरना, हर बार भारत से मुंह की खाओगे। 
        यदि पाकिस्तान वास्तव में भारत के साथ शांति और सद्भाव के साथ अपने विवाद सुलझाना चाहता है तो उसे अपनी नीयत भी स्पष्ट रखनी होगी। आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते, यह तय बात है। पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाना होगा। अब तो पाकिस्तान के नागरिक ही अपने देश की पोल खोल रहे हैं। मुजफ्फराबाद, गिलगित और कटोली जैसे हिस्सों में पाकिस्तानी आवाम अपनी सरकार और सेना के खिलाफ सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रही है। 
       चौकने वाली बात यह है कि यह विरोध प्रदर्शन इसलिए है क्योंकि पाकिस्तान की सेना युवाओं को जबरन आतंकी संगठनों में भेज रही है। युवाओं को आतंकी संगठनों में भेजना, मानवता की भलाई का काम है क्या? पाकिस्तान की जनता यह बता रही है और वहां के प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि वे आतंकवाद से पीडि़त हैं? साहब आतंकवाद पर आपकी नीयत साफ नहीं है। अभी भी आपके लिए दो तरह का आतंकवाद है- अच्छा और बुरा। जबकि आतंकवाद अच्छा या बुरा नहीं होता। आतंकवाद तो केवल और केवल बुरा होता है। 
       भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के भाषण की गूँज कानों में उतरी हो तो पलटकर भारत के माथे पर आरोप मढऩे की जगह आतंकवाद को अपनी जमीन से साफ कीजिए। शरीफ साहब, विश्वास कीजिए फिर कोई विवाद भारत और पाकिस्तान के बीच में रह ही नहीं जाएगा। नफरत फैलाने की फैक्ट्रियां ही बंद हो जाएगी तो फिर काहे का झगड़ा। 

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