मंगलवार, 6 अक्तूबर 2015

बजट में होगी आम आदमी की चिंता

 वि त्त मंत्री अरुण जेटली ने संकेत दिए हैं कि आगामी बजट में आम आदमी का ध्यान रखा जाएगा। उन्होंने फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि एनडीए सरकार इस बार आयकर में छूट की सीमा बढ़ाने जा रही है। इससे निम्न और मध्यम वर्ग की जेब में अधिक पैसा बचेगा। वित्त मंत्री की ओर से दिए गए आयकर छूट बढ़ाने के संकेत आम भारतीय परिवारों के लिए राहत का पैकेज है। आर्थिक आधार पर देखें तो भारत में निम्म और मध्यम वर्ग ही बहुसंख्यक हैं। सीमित आय में परिवार का संचालन करने की कठिन चुनौती उनके सामने रहती है। महंगाई अपनी रफ्तार से बढ़ती जा रही है जबकि आय कछुआ गति से बढ़ती है।
       महंगाई से पीडि़त निम्म और मध्यम वर्ग को पिछले बजट से काफी उम्मीदें थीं। अच्छे दिनों की उम्मीद कर रहे भारतीय परिवार सोचकर बैठे थे कि नरेन्द्र मोदी की सरकार बजट में उन्हें खुशियों की पोटली देगी, लेकिन पिछला बजट इस नजरिए से निराशाजनक रहा। आयकर में बड़ी छूट की उम्मीद लिए बैठे लोगों को कोई छूट नहीं दी गई। सरकार की ओर से बजट को 'कड़वी गोली' कहकर स्वीकार करने के लिए कहा गया। विशेषज्ञों ने बजट की खूब सराहना की। उन्होंने डिरेल अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने वाला बजट बताया था। यह सरकार का काम है कि वह विश्लेषण करे कि पिछले बजट से अर्थव्यवस्था को सुधारने में कितना सहारा मिला। आम आदमी तो सीधेतौर पर मिलने वाली राहत को देखता है। 
        महंगाई के इस दौर में यह जरूरी भी है कि लोगों की जेब में अधिक पैसा नहीं लिया जाए। आम आदमी के पास पैसा होगा तो वह खर्च करेगा, खर्च करेगा तो कहीं न कहीं सरकार के पास पहुंच ही जाएगा। अरुण जेटली ने अपनी पोस्ट में इस बात की ओर इशारा किया है। उन्होंने कहा है कि निम्न और मध्यम वर्ग के हाथ में पैसा होगा तो खपत बढ़ेगी, सिस्टम में ज्यादा पैसा आएगा। खपत बढऩे से इनडायरेक्ट टैक्स (कस्टम, एक्साइज और सर्विस टैक्स) अधिक मिलेगा। सरकार की यह सोच अच्छी है कि लोगों को सीधेतौर पर खुश करने के लिए इनकम टैक्स में छूट दे दी जाए। 
       अब यह छूट कितनी मिलेगी, यह देखना होगा। आम आदमी की बात की जाए तो वह पांच लाख तक की आय टैक्स फ्री चाहता है। पांच लाख रुपये वार्षिक आय तक कर न लगाया जाए। सच बात तो यह है कि शहरी क्षेत्रों में पांच लाख रुपये में परिवार चलाना बहुत आसान नहीं है। बहरहाल, सरकार अपने आगामी बजट में आयकर छूट की सीमा में ठीक-ठाक वृद्धि करती है तभी लोगों को लगेगा कि 'अच्छे दिन आ रहे हैं'। यह कोई चुनावी जुमला नहीं था बल्कि भाजपानीत एनडीए सरकार अपने चुनावी नारों को सच कर रही है। यह सरकार आम आदमी की चिंता करती है। आयकर सीमा बढ़ाकर सरकार फिर से अपना खोया हुआ भरोसा वापस पा सकती है। 

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