शुक्रवार, 12 नवंबर 2010

कांग्रेस को लगी मिर्ची

सुदर्शन के बयान से तिलबिला गए सोनिया भक्त
सोनिया के खिलाफ सुदर्शन बयान पर राष्ट्रद्रोह का मामला दर्ज करने की मांग, गिलानी और अरुंधती के देश के खिलाफ बयान पर चुप्पी क्या जायज है? कांग्रेस ने संघ पर आतंकवादी होने का आरोप लगाया तब कुछ नहीं, कांग्रेस ने संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का एजेंट होने का आरोप लगाया तब तो कांग्रेसजनों को खूब मजा आ रहा था, अपनी बारी आई तो दर्द होने लगा। दरअसल कांग्रेसी इस नौटंकी से भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी यूपीए सरकार से देश की जनता का ध्यान हटाना चाहते हैं।
 क हावत है जाके पांव न फटी बिमाई, वो का जाने पीर पराई। यह कहावत सोनिया गांधी को लेकर पूर्व सर संघचालक के. सुदर्शन के बयान पर कांग्रेस की बौखलाहट पर सटीक बैठती है। सुदर्शन जी ने सोनिया पर सीआईए का एजेंट होने का आरोप क्या लगाया, सोनिया के चरण चाटुकारों को मिर्ची लग गई। सबसे पहले तो यह साफ कर दूं कि मैं संघ के पूर्व सर संघचालक के. सुदर्शन के बयान को उचित नहीं मानता। मेरा मानना है सबूत हाथ में हो तब बात की जाए। सुदर्शन ने जो किया वही तो कांग्रेस इतने सालों से संघ के खिलाफ कर रही थी। कांग्रेस ने तो बाकायदा कुछ लोगों को काम सौंप रखा था कि संघ के खिलाफ मौके-बेमौके कुछ न कुछ बोलते रहो, करते रहो ताकि कांग्रेस का एक वोट बैंक मजबूत होता रहेगा। मध्यप्रदेश के कुटिल राजनीतिज्ञ दिग्विजय का तो जब भी मुंह खुलता है वे संघ को आतंकवादी संगठन ठहराने से पीछे नहीं हटते, साबित आज तक नहीं कर पाए। पी. चिदंबरम पवित्र भगवा रंग को आतंकवादी रंग घोषित कर देते हैं। इन्हीं सोनिया गांधी के सुपुत्र राहुल गांधी संघ की तुलना एक आतंकवादी संगठन सिमी से कर देते हैं। कांग्रेस का हर आम-ओ-खास नेता संघ को गरियाता रहा। उस पर आतंकवादी होने का आरोप लगाता रहा, संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को आईएसआई का एजेंट होने का आरोप लगाता रहा तब कांग्रेस चुप रही। कहीं किसी को दर्द नहीं हुआ, जब खुद की पार्टी की एक नेता पर आरोप लगा तो असहनीय पीढ़ा हो उठी।
    हांलाकि संघ ने इस बयान से किनारा कर लिया है और इसे के. सुदर्शन का व्यक्तिगत बयान बताया है। लेकिन, वोटों की राजनीति चमकाने और सोनिया की कृपा के लिए लालायित रहने वाले नेताओं की ओर से तमाम तरह के बयान आने लगे। वे इस मौके को कैसे भी नहीं छोडऩा चाहते। क्योंकि उन्हें देश की जनता का ध्यान भ्रष्टाचार में फंसी कांग्रेस से हटाना है। कांग्रेस के प्रवक्ता जनार्दन द्विवेदी ने कहा कांग्रेस के कार्यकर्ता कुछ भी कर सकते हैं इसकी जिम्मेवारी संघ की होगी। संघ, भाजपा (भाजपा को जबरन घसीट लिया) और सुदर्शन सोनिया से माफी मांगे। वहीं कांग्रेस की आतंकवादी चेहरे जगदीश टाइटलर ने तो वही पुराना राग अलापा संघ पर प्रतिबंध लगाने का। इतना ही नहीं तो कई बड़े वाले चाटुकारों ने सोनिया को देश की एकता का प्रतीक मान लिया। इसलिए के. सुदर्शन के बयान को देश की एकता-अखण्डता को नुकसान पहुंचाने वाला बता दिया। इन लोगों ने सुदर्शन पर राष्ट्रद्रोह का मुकद्मा दर्ज करने की मांग की है।  ....बस यहीं मुझे आपत्ती है, बाकी सब अपनी जगह है। संघ के खिलाफ अनर्गल बयानबाजी करने वाले दिग्विजय, हिन्दुओं के पवित्र रंग को आतंक का प्रतीक घोषित करने वाले चिदंबरम और सिमी से संघ की तुलना करने वाले राहुल के खिलाफ कांग्रेस खामोश रही और मात्र एक सोनिया पर आरोप लगा तो इतना हो-हल्ला। ...और जिन सोनिया गांधी के लिए कांग्रेसी नाटक कर रहे हैं, वे भी कम वाचाल नहीं है। भाजपा के स्टार नेता नरेन्द्र मोदी (जिन्होंने गुजरात में कांग्रेस को धूल चटा रखी है) को 'मौत का सौदागर' कहा था। तब कांग्रेसी कहां चले गए थे? चलो इन्हें छोड़ो, ये तो उसके अपने हैं, फिर इन्होंने तो संघ और हिन्दुओं का ही तो अपमान किया है। कांग्रेस की कृपा तो उन पर भी रहती है जो खुलकर भारत विरोध करते हैं। कांग्रेस की नाक के नीचे दिल्ली में अलगाववादी नेता गिलानी और अरुंधती देश विरोधी प्रोपोगंडा फैलाते हैं, कांग्रेस मुंह सिलकर बैठी रही, जबकि इस देश की आम जनता ने इनके खिलाफ राष्ट्रद्रोह के तहत कार्रवाई की मांग की। लेकिन लगता है कांग्रेस ने सोनिया को इस देश से ऊपर मान लिया है। तभी तो राष्ट्रविरोधी बातें करने वालों पर कांग्रेस का अमृत बरसता है। कश्मीर में राष्ट्रध्वज और सेना को गाली-गलौज करने वालों को यही यूपीए सरकार 100 करोड़ का राहत पैकेज जारी करती है। वहीं एक सुदर्शन का एक कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के खिलाफ बयान देशद्रोह की कैटेगरी में आ जाता है। धन्य है ऐसी चाटुकारिता।
    अंत में एक बार फिर के. सुदर्शन के बयान पर लौटता हूं। उनके बयान से वाकई संघ ने अखिल भारतीय स्तर पर धरने से जो बढ़त हासिल की थी उसे खो दिया है। अगर सुदर्शन जी के पास सबूत हैं तो उनको जनता के सामने पेश करें। बयानबाजी करके कांग्रेस की कैटेगिरी में आने की कोशिश क्यों? सुदर्शन जी ने जो भी कहा फिलहाल तो वह आरोप ही हैं, लेकिन उनके बयानों पर निश्चित तौर पर शोध की जरूरत है। मेरा तो यह मानना शुरू से ही रहा है कि सोनिया गांधी (एंटोनिया माइनो) भी स्वयं शोध का विषय है, जबकि भारतीयों ने खासकर कांग्रेस ने जल्द ही सोनिया को सिरमाथे बिठा लिया। यह सत्य है कि उन्होंने अपनी जन्मतिथि की गलत जानकारी दी, यह भी सत्य की कि उनके पिता स्टेफानो माइनो ने एक नाजी सेना में काम किया और इसी कारण वे द्वितीय विश्व युद्ध के वक्त रूस के युद्धबंदी रहे। साथ ही सोनिया के बारे में यह भी सभी जानते हैं कि सोनिया ने भारत की नागरिकता बहुत दिन बाद सोच-विचार के बाद ली। इस बात पर भी शोध की आवश्यकता है कि क्या वाकई सोनिया के दखल की वजह से ही इंदिरा गांधी का सुरक्षाकर्मी नहीं बदला जा सका था, जबकि जिसने इंदिरा को गोली मारी उसे हटाए जाने की प्रक्रिया चल रही थी। इंदिरा को तत्काल राममनोहर लोहिया अस्पताल में क्यों नहीं ले जाया गया, एम्स क्यों ले गए। सोनिया गांधी के विषय में समय-समय पर किसी न किसी ने कुछ न कुछ विवादास्पद लिखा है। भाजपा के दीनानाथ मिश्र ने 'सोनिया का सच' लिखा। वहीं डॉ. सुब्रह्मणयम स्वामी ने भी उन पर विस्तृत शोध लिखा है। फिलहाल कांग्रेस द्वारा जो नाटक-नौटंकी चल रही है इसका उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ भष्ट्राचार की खाई में फंसी यूपीए सरकार को संघ की पूंछ पकड़कर पार लगाना है। खैर जो भी चल रहा है उससे यह तो स्पष्ट होता जा रहा है कि देश की राजनीति की दिशा क्या है?

7 टिप्‍पणियां:

  1. सूदर्शन जी विद्वान है, मगर उनके इस व्‍यक्‍तव्‍य में बूद्विमानी कहीं नही है, रही बात उस संदर्भ की जो सोनिया गांधी के बारे में कही गई है, तो सूब्रम्‍हण्‍यम स्‍वामी के भी पहले ब्‍लॉग के स्‍वरूप में बहूत कूछ मौजूद है,
    जहां तक बात विरोध प्रदर्शन की है तो इसे स्‍वाभाविक रूप से देखा जाना चाहिए, इस विरोध प्रदर्शन पर यह कहना कि, यह चरण वंदना है या कि, यह चारण है अतिश्‍योक्ति मानता हूं,
    जिस वक्‍त आपका आलेख पढ रहा था उसी वक्‍त चैनल पर यह खबर आई कि, इंदौर में संघ कार्यकर्ताओं ने पूलिस के साथ मिलकर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को पिटा,सवाल यह है कि, विरोध तो स्‍वाभाविक है, इसमें संघ का यह अजीबो गरीब स्‍वरूप क्‍यों सामने आ रहा है

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  2. Aap ne jistarh se sudarshan ji ke bayan pa shodh ki bat kahi hai vo bilkul hona chahiya, kyau ki sudarshan ji ne jo bayan diya uske saboot baale hi na ho lekin unki bat se puri tarah se inkar bhi nahi kiya ja sakta hai.


    Balmukund Dwivedi

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  3. शोध की आवश्यकता. बढ़त वाकई खो दी. लेकिन शोध होना चाहिये. गोपनीयता का आवरण अपने अन्दर तमाम अन्धेरों को समेट लेता है...

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  4. मेरा मानना है कि पिछले दिनों जो कुछ भी हुआ वह बहुत गलत हुआ। चाहे राहुल का बयान हो या सुदर्शन का। हालांकि यह सही है कि सुदर्शन का बयान शोध के लायक है पर राहुल का बयान बचकाना।
    मैं तो यह कहता हूं कि सुब्रहमण्यम स्वामी और दीनानाथ मिश्र ने जो लिखा है उसकी जांच क्यों नहीं की जा रही। मजे की बात तो यह है कि जनार्दन द्विवेदी ने कल मीडिया के सामने आकर यह कहीं भी नहीं कहा कि जो आरोप लगाए जा रहे हैं, वह गलत है। इसका क्या मतलब निकाला जाए। आरोपों की जांच की जानी चाहिए। मैं तो कहता हूं कि सोनिया प्रधानमंत्री क्यों नहीं बनीं इसका सच भी देशवासियों के सामने आना चाहिए। क्या बाकई सोनिया ने त्याग किया या फिर कोई और बात इसका कारण रही। मुझे लगता है कि मामला अब इस स्तर तक आ गया है तो यूं ही इसे रफा-दफा नहीं किया जाना चाहिए। देशवासी सच जानना चाहते हैं।
    रही बात विरोध प्रदर्शन की तो, कानून को किसी को भी हाथ में नहीं लेना चाहिए। सभी कानून के दायरे में रहकर ही विरोध करें तो ज्यादा अच्छा रहेगा। देशवासियों के भी और विरोध करने वालो के भी।

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  5. काँग़्रेस जाँच करे या न करे, शोध करे या न करे, वो बाद की बात है, लेकिन इस तरह के हिंसक प्रदर्शन और तोड़-फोड़, हमले आदि करने वालों को अब कम से कम 'अहिंसा के पुजारी' गाँधी जी के एकमात्र सच्चे अनुयायी होने का दावा करना छोड़ देना चाहिये।

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  6. Gilani and Arundati are allowed to shout azaadi in new delhi. Where were these congressi hiding then? Oh, I realised now there were lined up with their hooks. Moment the Sudershan has said something, these bastards of the soil started showing who is more pro Sonia. Bhagwan Ram key liyae itna nahi marte jiski puja roj karte hain. Magar sonia key tukdey khaney paunch jaate hain.

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  7. ये कांग्रेस का दिवालियापन है ... खुद को आज़ादी का ठेकेदार मानते हैं .. बोलने कि आज़ादी कि बात भी करते हैं ... दूसरों को सुन नहीं पाते ...

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