मंगलवार, 22 जून 2010

बिहारी बाबू लालू और उनकी लालटेन

ब आप और हम क्या लालूजी को कौन नहीं जानता, अब आप सब लोगों तक ये खबर भी पहुंच ही गई होगी कि लालू के राष्ट्रीय जनतादल (आरजेडी) से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा और चुनाव चिह्न के छिनने पर खतरा आ गया है। चुनाव आयोग ने इसके लिए लालू को नोटिस जारी किया है और उन्हें सफाई में कुछ कहने के लिए २ जुलाई तक का समय दिया है। पूरी खबर यहां पढें
.....   अब आप सोचो अगर बड़बोले लालू अपनी पार्टी का राष्ट्रीय दर्जा और उससे भी अधिक महत्वपूर्ण चुनाव चिह्न लालटेन नहीं बचा सके तो क्या होगा? लालू ने इसी लालटेन के उजाले में बिहार की भोली-भाली जनता को खूब ch2so4 बनाया है। पिछले लम्बे समय से उनकी लालटेन का तेल चुक गया तो बेचारे अंधेरे में फडफ़ड़ाते रहते हैं, कुछ तो भी बड़बड़ाते रहते हैं। और तो क्या करें भई लालू, मैडम के छोरे (बाबा) ने भी लालू को लाल बत्ती दिखा दी है। सुना है इस बार बाबा की पार्टी उनके दिशा-निर्देश में बिहार में अपने बूते चुनाव लड़ेगी। भई ये सब तो ठीक नहीं है लालू बेचारे तो पहले से ही अंधेरे में जी रहे हैं ऊपर से ये नए लड़के ने और उनकी हवा खराब कर दी है। उनकी लालटेन भी मुसीबत में है और गांधी-नेहरू घराने की पार्टी ने भी उनका साथ छोड़ दिया है। वैसे तो लालू बहुत बड़े तिकड़मी हैं। तिकड़म भिड़ाने में पूरे भारत ही क्या वरन विश्वभर में उनकी कोई सानी नहीं है। जैसे-तैसे करके वो अपनी लालटेन को बुझने नहीं देंगे। वे चुनाव आयोग को भी ch2so4 बना सकते हैं। नहीं बना पाए तो तिकड़म बिठा सकते हैं। वे धन-लाभ के लिए चारा तक खा सकते हैं तो धन-बरसाने वाली कुर्सी को पाने के लिए कुछ न कुछ तो करेंगे ही। इतना तो पूरे देश की जनता को उन पर भरोसा है।
..........अब अपन रहे गणित के विद्यार्थी तो अपन 'माना कि' का भरपूर उपयोग करते हैं। तो मान लो कि लालू अपनी बुझती (करीब-करीब बुझ ही गई) लालटेन को नहीं बचा पाते तब क्या होगा? ...... क्या लालू का जादू चल पाएगा? ...... क्या लालू बिहार जीत का हार पहन सकेंगे? ..... क्या लालू फिर से लालटेन को पाने के लायक तेल जुटा सकेंगे? ....... कहीं फिर लालू दीपक को तो चुनाव चिह्न नहीं बना लेंगे?  ....नहीं-नहीं इसे नहीं बना सकते ये निशान सेक्यूलर नहीं होगा। ये तो हिन्दू धर्म का पवित्र प्रतीक है। इससे तो लालू के मुस्लिम वोटर रूठ (जो वैसे भी रूठ चुके हैं) जाएंगे। लालू संभवत: इसे चुनाव चिह्न नहीं बनाएंगे। हां चिराग को बना सकते हैं लेकिन उसका जिन्न भी कब का निकल भागा। इससे भी कोई फायदा नहीं।
...........और सोचो...... भला लालू बिना लालटेन के बिहार की उबड़-खाबड़ मार्गों पर चुनाव प्रचार के लिए कैसे निकलेंगे। और निकलेंगे भी तो बिना उजाले के लोगों को कैसे अपने शासन काल का विकास और नीतीश के मुख्यमंत्रित्वकाल में हुए विनाश को दिखाएंगे?
बहुत सवाल हैं भैया! पर जवाब नहीं मिल पा रहे हैं। आप हमारी कोई मदद करो, सॉरी हमारी नहीं उनकी..... कोई अच्छे से सुझाव हों लालू के लिए तो बताइयेगा जरूर... काश बात बन जाए।

8 टिप्‍पणियां:

  1. लोकेंद्र जी सबसे पहले तो शानदार लेखन के लिए बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें। बात जहां तक परम आदरणीय प्रात: स्मरणीय अत्यंत वंदनीय श्रीमान लालू प्रसाद यादव जी की है तो वे बहुत महान हस्ती हैं। मुझे अक्सर लगता है कि उन्हें मीडिया भी खूब प्रचारित करता है। शायद ही कोई अन्य नेता इतना मीडिया फेमलियर हो। आपने भी उनकी चिंता के समय में सहयोग की बात कहकर इस बात को साबित कर दिया है।
    चलिए अब बात करते हैं लालू जी के लिए चुनाव निशान की। दरअसल लालू जी एक कृषि प्रधान देश के महान नेता है तो उन्हें किसी पशु को अपना चुनाव निशान बनाना चाहिए। इसके लिए उन्हें भैंस खूब सूट करेगी। वैसे बकरी भी अच्छा जानवर है। गाय इसलिए नहीं कि गाय हमारी माता है और माता को चुनाव निशान नहीं बनाया जा सकता। हां, पिता पर एक बार विचार किया जा सकता है। अगर यह समझ न आए तो भैंस जो खाती है उसे चुनाव निशान बनाया जा सकता है। जैसे चारा। एक ऑप्शन और है। अगर वे बिहार की सड़कों को अपना चुनाव निशान बनाएंगे तो स्थानीय जनता बहुत खुश होगी। लोकल चुनाव निशान। इसके लिए वे किसी मशहूर और खूबसूरत हीरोइन के गालों का भी प्रयोग कर सकते हैं। वैसे अभी तो पोस्ट लिखी गई है और भी विचार आएंगे। मुझे लगता है कि दो चार दिन में लालू जी की परेशानी का हल हो जाएगा।
    आपकी लालू जी के बुरे समय में काम आने की जो नीति अपनाई है वह प्रशंसनीय है। आपको बधाई।

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  2. " is shandar post ke liye aapko badhai ..."

    ----- eksacchai { AAWAZ }

    http://eksacchai.blogspot.com

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  3. सही कहा आपने......... लालू की चिंता में हम भी शामिल हैं। लालू देश की राजनीति के चतुर खिलाड़ी हैं, लेकिन जिंदगी भर आम बिहारियों को सीएचटूएसओफोर बनाने वाले लालू को पिछले दो चुनावों में बिहारियों ने सीएचटूएसओफोर बना दिया है। वैसे अभी कहना बहुत है अपने जज्बात मैं दूसरी किश्त में कहूंगा .........

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  4. "बहुत बढ़िया लिखा लोकेन्द्र..बहुत अच्छी तरह से व्यंग किया है लालू प्रसाद यादव पर ...."

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  5. Lalu must retire now and play peacefully with his grand children.

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  6. read your view on lalu very nice ,I like it.

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  7. Bhai great work.....Please go a head.!!

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  8. Unknown5 अगस्त 2017 को 1:55 am
    रावण ने अगर राम की पत्नी को उठाया तो उसकी क़ीमत रावण के पूरी बिरादरी को चुकानी पड़ी थी मय शुभचिंतको सहित ,
    न की अकेले रावण को
    "एक लाख पूत सवा लाख नाती जा के घर दिया न बाती"
    बाक़ी आप स्वयं समझदार है पंकज जी

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